नटखट चाँदनी में नहाया बदन फूले जूही और बेला हजारों हजार नटखट चाँदनी में नहाया बदन फूले जूही और बेला हजारों हजार
ऐ ग्राम बाला ठहर कुछ और देर स्मृतियों के द्वार! ऐ ग्राम बाला ठहर कुछ और देर स्मृतियों के द्वार!
ढका छिपा सा झांकता दिखता है। मुझे सिर्फ प्रेम को ही जीना है, हर दिन। ढका छिपा सा झांकता दिखता है। मुझे सिर्फ प्रेम को ही जीना है, हर...
गृहस्थ, समाज, रिश्ते निभाती सर्वस्व अपना न्योछावर करती गृहस्थ, समाज, रिश्ते निभाती सर्वस्व अपना न्योछावर करती
बाबुल का घर छोड़, ससुराल आई सच! कहती हूं मेरी मां ,तेरी बहुत याद आई। बाबुल का घर छोड़, ससुराल आई सच! कहती हूं मेरी मां ,तेरी बहुत याद आई।
नहीं कोई दूजा है जग में, जैसी अपनी माता है। नहीं कोई दूजा है जग में, जैसी अपनी माता है।